दिल्ली में स्ट्रीट वेंडरों को लाइसेंस देने की तैयारी
दिल्ली में अब स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका संरक्षण और स्ट्रीट वेंडर्स विनियमन) अधिनियम को अमलीजामा पहनाने की तैयारी चल रही है। यह कानून वर्ष 2014 में बना था, लेकिन अब तक इस कानून के तहत स्ट्रीट वेंडरों को मान्यता नहीं दी सकी है। अब जल्द ही इस कानून के तहत स्ट्रीट वेंडरों को पहचान मिलने वाली है। इसके लिए जरूरी सर्वेक्षण की प्रक्रिया चल रही है और यह काम इस माह पूरा हो सकता है। अगले दो से तीन महीने में स्ट्रीट वेंडरों को लाइसेंस मिलने की संभावना है। दिल्ली में 4 से 5 लाख स्ट्रीट वेंडर होने का अनुमान है।
स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका संरक्षण और स्ट्रीट वेंडर्स विनियमन) अधिनियम, 2014 के तहत स्ट्रीट वेंडरों (रेहडी-पटरी विक्रेता) को पहचान देने के लिए सबसे पहले टाउन वेंडिंग कमेटी (टीवीसी) गठित होनी थी, जो पांच साल की देरी के बाद ही सही वर्ष 2019 में गठित हो चुकी हैं। इसके बाद स्ट्रीट वेंडरों का सर्वे होना था। दिल्ली सरकार ने वर्ष 2019 में ही नगर निगमों को सर्व करने को कहा था, लेकिन इसमें भी काफी देरी हुई। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि कोरोना के कारण सर्वे में देरी हुई है। हालांकि अब सर्वे चल रहा है और इसके इसी महीने पूरा होने की संभावना है।
सर्वे का काम पूरा होने के बाद रेहड़ी पटरी वालों को वेंडिंग प्रमाणपत्र दिए जाएंगे और इसके आधार पर उन्हें लाइसेंस जारी किए जाएंगे। यह लाइसेंस अगले दो-तीन महीने में मिल सकते हैं। लाइसेंस मिलने वाले वेंडर को कारोबार करने के लिए स्थायी जगह मिल जाएगी। जिसके बाद उन्हें कोई जबरदस्ती हटा नहीं सकेगा। दिल्ली सरकार स्ट्रीट वेंडरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के खोखे देने पर भी विचार कर रही है। जिससे रेहड़ी-पटरी वाले स्थान साफ-सुथरे व सुंदर दिखें। इन खोखे में कूड़ा निस्तारण और सौर ऊर्जा की व्यवस्था होगी।
नगर निगमों दवारा किए जा रहे सर्व से स्ट्रीट वेंडर खुश नहीं है। नैशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (नासवी) के राष्ट्रीय समन्वयक अरबिन्द सिंह ने बताया कि नगर निगम सर्वे ढंग से नहीं कर रहे हैं। सर्वे में काफी लोगों को छोडा जा रहा है। बाजारों में स्ट्रीट वेंडरों का सर्वे तो फिर भी हो रहा है। कम आय वाले आवासीय क्षेत्र जैसे त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, सुंदर नगरी, जहांगीरपुरी आदि में सर्वे के दौरान काफी लोग छोड़ दिए गए हैं। सर्वे में सबको शामिल करना चाहिए। भले ही लाइसेंस सबको न मिले। सिंह ने कहा कि इस सर्वे में कमियों के खिलाफ अदालत जाने पर विचार कर रहे हैं। सर्वे में खामियों पर नगर निगम के एक अधिकारी का कहना है लोग आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। उसका निराकरण किया जाएगा।
Source: Business Standard