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नासवी द्वारा पुलिस आतंक विरोधी राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरूआत

प्रेस विज्ञपित

मुंबर्इ पुलिस के आतंक के शिकार हाकर की मौत के खिलाफ मानव श्रृंखला में शामिल दिल्ली के वेंडरों ने कुख्यात सहायक पुलिस आयुक्त पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की

आंदोलनकारियों द्वारा महाराष्ट्र सरकार से 25 लाख रूपये के मुआवजे की मांग

नर्इ दिल्ली, 20 जनवरी : मुंबर्इ में किये जा रहे ह‚करों के विरोध प्रदर्शन की आंच दिल्ली भी आ पहुंची जबकि आज रविवार को संसद मार्ग, दिल्ली पर एकजुट हुए रेहड़ी पटरी व फेरी विक्रेताओं ने मानव श्रृंखला के रूप में अपना विरोध प्रदर्शित करते हुए मुंबर्इ के कुख्यात सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) वसंत ढ़ोबले पर हत्या का मुकदमा कायम करने की मांग की जिसकी बर्बरतापूर्ण कार्रवार्इ के दौरान विगत 11 जनवरी, 2013 को 45 वर्षीय हाकर मदन जायसवाल को अपनी जान गंवानी पड़ी। आंदोलनकारी विक्रेताओं ने महाराष्ट्र सरकार से मृतक हाकर के परिवार को तत्काल 25 लाख रुपये का मुआवजा दिये जाने मांग करते हुए चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें न मानी गर्इं तो महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के वेंडर भी दिल्ली में गोलबंद होकर गृह मंत्रालय की तरफ कूच करेंगे।

नेशनल एसोसिएशन आफ स्ट्रीट वेंडर्स आफ इंडिया (नासवी) द्वारा रविवार को शुरू किये गये राष्ट्रव्यापी पुलिस आतंक विरोधी अभियान के तहत आयोजित मानव श्रृंखला मेंं शामिल दिल्ली के रेहड़ी पटरी व फेरी विक्रेताओं ने जनता के प्रति पुलिस को जवाबदेह बनाने की जोरदार आवाज उठाते हुए कहा कि सच तो यह है कि अपने कामकाज की प्रकृति की वजह से वेंडर और हाकर स्वाभाविक तौर पर सतत निगरानी के जरिये शहर की सड़कों को सुरक्षित बनाने में योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि एक तरह से हम शहर के आंख-कान हैं और बाजार एवं सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित-संरक्षित रखते हैं। हमारे बिना रेलवे परिसर और बस अìे संभवत: लूट व अपराध के खतरनाक केंद्र बन जाएंगे। हम लोगों की सेवा करते हैं, स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देते हैं और शहर को समावेशी व गतिशील बनाने में मदद करते हैं। लेकिन अधिकारी हमें वैधता देने और कामकाज के लिए जगह व अवसर देने से इनकार करते हैं। पुलिस व नगर निगम के अधिकारियों पर अपने आर्थिक शोषण का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनकी बात नहीं मानने पर उन्हे धमकी, उत्पीड़न व जबरन बेदखली का शिकार बनना पड़ता है।

रेहड़ी पटरी व फेरी विक्रेताओं को संबोधित करते हुए नासवी के राष्ट्रीय समन्वयक अरबिंद सिंह ने उन्हें संगठित होने का आहवान करते हुए कहा कि वे हर मार्केट में अपनी यूनियन को मजबूत बनाएं ताकि जबरिया बेदखली व पुलिस अत्याचार व बर्बरताओं के खिलाफ जोरदार आवाज उठार्इ जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह की हर घटना, दुर्घटना एवं जनाक्रोश के बाद हम यही सुनते हैं कि देश में पुलिस सुधार की जरूरत है । दरअसल, पुलिस सुधार का सीधा मतलब है कि पुलिस को जनता, नागरिकों, कामगार गरीबों एवं नागरिक समाज के प्रति अनिवार्य रूप से जवाबदेह बनाये जाने की जरूरत है । यह वाकर्इ परेशान करने वाली बात है कि दिल्ली व मुंबर्इ जैसे शहरों में भी पुलिस जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है। वे बस गृह मंत्रालय में बैठे अपने आकाओं के प्रति जवाबदेह हैं।

मुंबर्इ के सहायक पुलिस आयुक्त के स्थानांतरण की घटना को महज उक्त अधिकारी को बचाने व पुलिस कार्रवार्इ के दौरान हाकर की दुखद मौत को को रफा-दफा करने की घृणित कोशिश बताते हुए श्री सिंह ने कहा कि 11 जनवरी, 2013 को हुर्इ इस दुखद घटना के तत्काल बाद हमलोगों ने केंæीय गृह मंत्री, केंæीय गृह सचिव, केंद्रीय आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के गृह मंत्री, महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक और मुंबर्इ पुलिस प्रमुख समेत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को अपना विरोध पत्र इ-मेल एवं फैक्स किया और उक्त कुख्यात एसीपी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने एवं उसे तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है । साथ ही, हमने यह भी मांग की है कि इस दुखद हादसे के शिकार मृत हाकर मदन जायसवाल के परिवार को राज्य सरकार तत्काल 25 लाख रूपये का मुआवजा दे। उन्होंने सभी राज्यों के वेंडर संगठनों का आहवान करते हुए कहा कि इस बर्बर घटना के खिलाफ पुरजोर विरोध दर्ज कराते हुए वे भी दिल्ली में मौजूद मंत्रियों व अधिकारियों को पत्र के भेजें।

नसवी के समन्वयक अरबिंद सिंह ने कहा कि फल विक्रेता की मौत कोर्इ स्वाभाविक मौत नहीं थी, जैसा कि पुलिस व चिकित्सा अधिकारियों की तरफ से भ्रम व अफवाह फैलाने की कोशिश की गर्इ, बलिक यह ढोबले बि्रगेड द्वारा कायम की गर्इ दहशत व खौफ के माहौल का परिणाम था। उन्होंने कहा कि दरअसल सत्ता प्रतिष्ठान त्रासदियों को मनचाहा रंग देने व उनका सुविधानुसार अपने हक में इस्तेमाल करने का आदी हो चुका है। रायसीना हिल्स पर हुए जनता के हालिया विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कितनी अजीब बात है कि उस दौरान कांस्टेबल सुभाष तोमर की हुर्इ मौत को लेकर पूरा पुलिस विभाग गुस्से से भर गया था, लेकिन मुंबर्इ में पुलिस कार्रवार्इ के दौरान गरीब हाकर मदन जायसवाल की मौत पर एजेंसियों और पुलिस अधिकारियों को जरा भी शर्मिंदगी नहीं महसूस होती है।

उन्होंने कहा कि हालांकि रेहड़ी पटरी व फेरी विक्रेताओं के लिए देश मेंं पहले से ही एक राष्ट्रीय नीति मौजूद है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किये गये आदेश के आलोक में रेहड़ी पटरी व फेरी विक्रेताओं की आजीविका एवं सामाजिक सुरक्षा संबंधी अधिकारों के संरक्षण के लिए केंæीय कानून लाने की तैयारी चल रही है, लेकिन विडंबना है कि मदन जायसवाल सरीखे वेंडरों को आज भी पुलिस आतंक व नगर निगम के की लूट के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान गंवाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

संसद मार्ग पर आयोजित इस विरोध सभा को ं कर्इ वेंडर नेताओं एवं नासवी के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।

इस बीच, नासवी द्वारा जारी प्रेस बयान मेंं बताया गया कि रविवार को शुरू यह पुलिस आतंक विरोधी अभियान पहल चरण में 26 जनवरी, 2013 तक जारी रहेगा । नासवी के सहयोगी संगठन आजाद हाकर्स यूनियन की तरफ से 24 जनवरी, 2013 को मुंबर्इ के आजाद मैदान में रेहड़ी पटरी व फेरी विक्रेताओं हाकरों की एक विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा। नासवी ने देश भर के वेंडर प्रतिनिधियों से रैली में शामिल होने की अपील की ताकि रेहड़ी पटरी व फेरी विक्रेताओं के खिलाफ पुलिस व नगर निगम अधिकारियों के इस आतंकपूर्ण शासन के खिलाफ सख्त विरोध दर्ज किया जा सके । उन्होंने कहा कि उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के तमाम वेंडर संगठन पूरे सप्ताह जगह-जगह अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे और केंæीय गृह मंत्री, केंæीय गृह सचिव, केंद्रीय आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के गृह मंत्री, महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक, मुंबर्इ पुलिस प्रमुख समेत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को अपना मांग पत्र भेजेंगे।

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