नई दिल्ली, 13 जून 2025 — दिल्ली के साकेत और शाहदरा साउथ, विशेष रूप से लक्ष्मी नगर, निर्माण विहार और अन्य क्षेत्रों में रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को लगातार नगर निगम (MCD) और स्थानीय पुलिस द्वारा उत्पीड़न और बेदखली का सामना करना पड़ रहा है। वर्षों से इन इलाकों में कार्यरत ये विक्रेता स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और हजारों निवासियों और यात्रियों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं। फुटपाथ की निर्धारित जगह उपलब्ध होने और स्ट्रीट वेंडर्स (जीविकोपार्जन के संरक्षण और रेगुलेशन) अधिनियम, 2014 के तहत सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद उन्हें बिना किसी उचित प्रक्रिया के हटाया जा रहा है।
ये विक्रेता न केवल अपनी रोज़ी-रोटी कमाते हैं, बल्कि कई अन्य लोगों को भी रोज़गार प्रदान करते हैं — जैसे कि सहायक, आपूर्तिकर्ता और अन्य। उनकी दुकानों को बार-बार हटाया जाना और सामान जब्त किया जाना उनके आजीविका के अधिकार और गरिमा पर सीधा आघात है। इनमें से कई विक्रेताओं के पास इस अधिनियम के अंतर्गत वेंडिंग सर्टिफिकेट (CoV) भी हैं, फिर भी उनके वैधानिक अधिकारों की अनदेखी की जा रही है।
इस मुद्दे पर अरविंद सिंह, नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) के राष्ट्रीय समन्वयक ने कहा:
“साकेत और दिल्ली के अन्य हिस्सों में स्ट्रीट वेंडर्स के साथ हो रहा यह उत्पीड़न न केवल अवैध है, बल्कि अमानवीय भी है। इन विक्रेताओं को गरिमा के साथ काम करने और जीवन जीने का अधिकार है। अधिकारियों को इस सत्ता के दुरुपयोग को रोकना चाहिए और स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम को सही ढंग से लागू करना चाहिए। NASVI इन विक्रेताओं के साथ मजबूती से खड़ा है और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहेगा।”
NASVI दिल्ली सरकार, नगर निगम और दिल्ली पुलिस से अपील करता है कि वे इन अवैध कार्रवाइयों को तत्काल रोकें और विक्रेता समुदाय के साथ संवाद स्थापित कर एक न्यायसंगत और टिकाऊ समाधान खोजें।